चाकघाट के भारतीय स्टेट बैंक में सिक्के जमा करने हेतु कर्मचारी करते है आनाकानी, कौन है जिम्मेदार
रीवा- चाकघाट नगर में संचालित भारतीय स्टेट बैंक अव्यवस्थाओं की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहता है। बैंक में पदस्थ कुछ कर्मचारियों की मनमानी और बोली भाषा की वजह से खाताधारकों में काफी आक्रोश भी उत्पन्न हो जाता है। जहां शाखा प्रबंधक के मॉनिटरिंग व कार्यशैली पर भी सवाल खड़े होते है। उक्त बैंक में एक-दो के सिक्के को जमा करने हेतु जमकर आनाकानी होती है एवं सीधे तौर पर यह कह सकते है कि पांच सौ अथवा हजार रूपये के सिक्कें जमा करने के लिए विभिन्न बहाने बनाकर खुलेआम बहिष्कार किया जाता है। कैश काउंटर में लेनदेन का कार्य करने वाले रमेश कुमार का कहना है कि सिक्के सिर्फ बाजार के लिए है और बैंक सिर्फ देना जानती है। वहीं दूसरी ओर व्यापारियों के पास भी पर्याप्त मात्रा में सिक्के का स्टॉक पड़ा हुआ है जो आगे व्यापार जारी रखने हेतु अपनी पूंजी सिक्कों में नहीं फसाना चाहते है। जनता जनार्दन उक्त सिक्कों का क्या करें जिम्मेदार अधिकारियों को स्पष्ट रूप में जानकारी देने की आवश्यकता है। भारतीय स्टेट बैंक चाकघाट में दस हजार अथवा बीस हजार की लेनदेन करने आए लोगों को कियोस्क सेंटरों की ओर जाने के लिए मजबूर किया जाता है। जबकी हकीकत यह है कि आएं दिन किओस्क सेंटरों में होने वाले धोखाधड़ी से बचने हेतु लोग बैंक में लेनदेन करना पसंद करते हैं। बता दे कि चाकघाट नगर सहित आसपास के क्षेत्रों में फर्जी फिंगरप्रिंट के माध्यम से कई उपभोक्ताओं के अकाउंट खाली किए जा चुके हैं। कई उपभोक्ता मजबूर होकर थाने में शिकायत दर्ज करवाई है और कई उपभोक्ताओं को आज तक न्याय नहीं मिला। कई प्रकरणों में मामला थाना पहुंचने से पहले कियोस्क सेंटरों के संचालकों ने समझौता किया है। सुरक्षा व्यवस्था एवं जागरूकता को लेकर बैंक के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जमीनी स्तर पर कोई रूचि नहीं दिखा रहे है। बैंक में निर्मित अव्यवस्था व बैंक बाहर फैली असुरक्षा पर रीवा कलेक्टर मनोज पुष्प से पहल एवं कार्रवाई की मांग हुई है।
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