परंपरागत खेती के साथ नवाचार कर आँवले की खेती से त्योंथर के उमाशंकर हुये मालामाल
रीवा- लीक से हटकर खेती करना जीवन में खुशियों के रंग भरने में सक्षम है। परंपरागत खेती के साथ नवाचार करना सीखना हो तो सोनवर्षा ग्राम के उमाशंकर से सीखे। त्योंथर जनपद के ग्राम सोनवर्षा के उमाशंकर ने बताया कि उनके पास 7.863 एकड़ खेती की जमीन है। पहले वे धान एवं गेंहू की खेती किया करते थे खेती से कोई विशेष उत्पादन न होने के कारण किसी तरह से साल भर के उपयोग के लिये ही फसल होती थी। वे अपनी फसल को बाजार में बेच नहीं पाते थे इससे उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं हो पाता था। इससे उनकी स्थिति जस की तस बनी रही। इसी बीच कृषि विभाग के आत्मा परियोजना के अधिकारियों ने सलाह दी कि कृषि एवं उद्यानिकी की मिश्रित खेती करें इस पर उमाशंकर ने धान एवं गेंहू के साथ ही 2.5 एकड़ जमीन में आँवला के पौधे रोपे और आँवला का बगीचा लहलहा उठा। आँवले के फल आने पर बाजार में आँवला बेचा। बाजार में आँवला 3 लाख रूपये का विका। आज उमाशंकर पाण्डेय काफी प्रसन्न है। उन्होंने कहा कि आँवले की खेती से मैं मालामाल हो गया हूं। उमाशंकर ने कहा कि उद्यानिकी फसले काफी लाभप्रद है। प्रदेश शासन की यह योजना किसानों को लाभ का धंधा करने के लिये प्रोत्साहित करती हैं।
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